Description
यह पुस्तक लेखिका की पहली कृति है। इस पुस्तक में लेखिका ने अपने भावी कर्णधारों को यह समझाने का प्रयत्न किया है कि जीवन की डोर बहुत लंबी है व समय अत्यंत अल्प अतः धर्म की राह पर चलते हुए संघर्षमय जीवन को ऐसा बनाने का प्रयत्न करो कि खुद को भी जीवन भार ना लगे। अधर्म का विनाश कर धर्म की वह राह बनाओ जिससे परिवार समाज व देश का भविष्य उज्ज्वल बने और आत्मबल, आत्म-स्वाभिमान की गरिमा बनी रहे। जीवन जीने के लिए है हार कर बैठने के लिए नहीं। जीवन की राह का नाम थकना नहीं अपितु बहादुरी से आगे बढ़ने का है। लेखिका ने इस पुस्तक के द्वारा अपने जीवन के दुर्दिनों को पाठकों के समक्ष रखते हुए जीवन पथ पर प्रत्येक आने वाली कठिनाइयों को झेलते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। वर्तमान भारत की स्थिति को दर्शाते हुए, अपने पूर्वजों के संस्कृति, सभ्यता, अनुशासन आदि की याद दिलाते हुए समाज सुधार व देश के प्रति निःस्वार्थ प्रेम व कर्तव्य की प्रेरणा दी है अर्थात जागरूकता का संदेश दिया है।







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