Description
अंधेरा अन्त नही अंधेरा तो हमें साक्षात्कार कराता है खुद के अस्तित्व से, प्रकाश की किरणों से, नवविहान से। अंधेरे को अपने ऊपर घमण्ड नहीं बल्कि वह छटपटाता रहता है प्रकाश के आने को जिससे उसके ऊपर लगा कालिमा का दाग मिट जाए। अंधेरा मृत्यु नहीं वरन पिछले जन्म के पापों का प्रायश्चित हैं जो पुण्य के प्रकाश से धुल जाते हैं। अंधेरे की रोशनी देने वाला भले भगवान न हो पर भगवान से कम नहीं होता।
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